|| नर्मदाजी की स्तुति ||
जय जय जगदम्ब मातु नर्मदा भवानी - २
निकसी जलधार जोर, पर्वत
पहाड़ फोड़,
दुष्टन के गर्व मोड़, प्रगटी
महारानी
जय जय जगदम्ब मातु नर्मदा भवानी - २
घाट- घाट छवि अनंत, सेवत
सिद्ध साधु संत,
भक्तन आनंद देत, देवराजधानी
जय जय जगदम्ब मातु नर्मदा भवानी - २
भूषण अम्बर विशाल, केशर
की खौर भाल ,
मानो रवि उदयकाल, शोभा
सुखदानी
जय जय जगदम्ब मातु नर्मदा भवानी - २
अमरकंठ प्रगट भई, सागर
सौं मिलन गई
मध्य कोटि तीर्थ रचे, मुक्ति की निशानी
जय जय जगदम्ब मातु नर्मदा भवानी - २
ओंकार महिमा अपार, शूलपाणी
धुंआधार
शंकर कैलाश त्याग, बसें
संग भवानी
जय जय जगदम्ब मातु नर्मदा भवानी - २
रेवां पद्मपलाश दीर्धनायानाम
श्यामाम सुषोनाधरां
नासा मौक्तिक चारुहास
- सुमुखीं रक्तांच रक्ताम्बराम |
तंत्रीमंक्गाताम करेण शनकै
रुन्नाद यंतीम मुहुर
वन्दे मेकल कन्यकां शिव
परां सर्वान्ग्भुषावृताम
ॐ नमोस्तुते पुण्यजले,
नमो मकरगामिनी
नमस्ते पापमोचिन्ये, नमो
देवी वरानने
नर्मदामादीनाथंच प्रणम्य
परया गिरा
वैखर्या तू वदे±दुच्चेर नर्मदे हर नर्मदे
नमो नर्मदाये निजानंददाये,
नमः शर्म्दाये शमाध्यर्पिकाए
नमो वर्मदाये वराभीती राये
नमो हर्म्यदाये हरं दर्शिकाये