बुधवार, 20 जनवरी 2010


आरती मारुतीनंदन की

आरती अन्जनीनंदन की मारुति केशरी नंदन की

जोड़कर हाथ शीश नवाऊं, दास प्रभु तुम्हरो कहलाऊं ,

जो आज्ञा तुम्हरी मै पाऊं प्रेम से रामचरित गाऊं

पार मेरा बेडा कर दीजै शीश पर कर को धर दीजै

धरे जो ध्यान, मिले भगवान्, मुक्त हो प्राण

दीजै पदवी भक्तन की , मारुति केशरी नंदन की

आरती अन्जनीनंदन की .................................. १

समुन्दर कूद गए छ्ण में पहुँच गए अशोक उपवन में ,

माता कर रही सोच मन में, मुद्रिका डाल दिया पल में ,

जोड़कर कमल खड़े आगे, भूख से दो ही फल मांगे,

उजाड़े बाग़, लगाई आग, दैत्य गए भाग,

नाश कर दीजै दुष्टन की, मारुति केशरी नंदन की

आरती अन्जनीनंदन की ......................... २

लंका जला चले आये, खबर माता की ले आये ,

रामजी के ह्रदय अति भाये, अंजनीसुत तुम कहलाये,

प्रभु गुण कहाँ तक मै गाऊं, पार वेदों में नहीं पाऊं,

सृष्टी सुख करण शोक को हरण, जाऊं बलि हरण ,

लाज रख लीजै भक्तन की, मारुती केशरी नंदन की ,

आरती अन्जनीनंदन की .................................३

चोला लाल-लाल राजे, मुठिका गदा हाथ साजे,

हाथ में पर्वत छविराजे, रामजी को कंध ले भागे ,

राखो प्रभु लाज, गरीब निवास करो सिध्द काज ,

काट दो फांसी बंधन की मारुति केशरी नंदन की

आरती अंजनी नंदन की .........................................४

प्रस्तुति : राजेंद्र कराहे, देवास