शनिवार, 10 जुलाई 2010

माँ नर्मदा की आरती




माँ नर्मदा की आरती
ॐ जय जगदानंदी, मैया जय आनंद्करनी
ब्रह्मा हरिहर शंकर रेवा शिव हरी शंकर रुद्री पालान्ती, ॐ जय जगादानंदी १

देवी नारद शारद तुम वरदायक, अभिनव पदचंडी,
सुरनर मुनि जन सेवत, सुरनर मुनि जन ध्यावत, शारद पदवंती, ॐ जय जगदानंदी

देवी धुम्रक वाहन राजत वीणा वादयती,
झुमकत झुमकत झुमकत, झननन झननन झननन, रमती राजन्ती, ॐ जय जगदानंदी २
देवी बाजत ताल मृदंगा, सुरमंडल रमती
तोड़ीतान तोड़ीतान तोड़ीतान तुररड तुररड तुररड, रमती सुरवंती, ॐ जय जगदानंदी 3

देवी सकल भुवन पर आप विराजत निशदिन आनंदी,
गावत गंगाशंकर सेवत रेवाशंकर तुम भाव मेटन्ती, ॐ जय जगदानंदी 4

मैयाजी को कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती,
अमरकंठ में विराजत, घाटन घाट विराजत कोटि रतन ज्योति, ॐ जय जगदानंदी 5

माँ रेवा की आरती जो कोई जन गावै मैया जो सुन्दर गावै
भजत शिवानन्द स्वामी जपत हरिहर स्वामी , मनवांछित फल पावै, ॐ जय जगदानंदी 6

बुधवार, 20 जनवरी 2010


आरती मारुतीनंदन की

आरती अन्जनीनंदन की मारुति केशरी नंदन की

जोड़कर हाथ शीश नवाऊं, दास प्रभु तुम्हरो कहलाऊं ,

जो आज्ञा तुम्हरी मै पाऊं प्रेम से रामचरित गाऊं

पार मेरा बेडा कर दीजै शीश पर कर को धर दीजै

धरे जो ध्यान, मिले भगवान्, मुक्त हो प्राण

दीजै पदवी भक्तन की , मारुति केशरी नंदन की

आरती अन्जनीनंदन की .................................. १

समुन्दर कूद गए छ्ण में पहुँच गए अशोक उपवन में ,

माता कर रही सोच मन में, मुद्रिका डाल दिया पल में ,

जोड़कर कमल खड़े आगे, भूख से दो ही फल मांगे,

उजाड़े बाग़, लगाई आग, दैत्य गए भाग,

नाश कर दीजै दुष्टन की, मारुति केशरी नंदन की

आरती अन्जनीनंदन की ......................... २

लंका जला चले आये, खबर माता की ले आये ,

रामजी के ह्रदय अति भाये, अंजनीसुत तुम कहलाये,

प्रभु गुण कहाँ तक मै गाऊं, पार वेदों में नहीं पाऊं,

सृष्टी सुख करण शोक को हरण, जाऊं बलि हरण ,

लाज रख लीजै भक्तन की, मारुती केशरी नंदन की ,

आरती अन्जनीनंदन की .................................३

चोला लाल-लाल राजे, मुठिका गदा हाथ साजे,

हाथ में पर्वत छविराजे, रामजी को कंध ले भागे ,

राखो प्रभु लाज, गरीब निवास करो सिध्द काज ,

काट दो फांसी बंधन की मारुति केशरी नंदन की

आरती अंजनी नंदन की .........................................४

प्रस्तुति : राजेंद्र कराहे, देवास